जब तेरी दहलीज की शोभा बन आये गुलजार जिंदगी हुई हम खुद पे इतराय। जब तेरी दहलीज की शोभा बन आये गुलजार जिंदगी हुई हम खुद पे इतराय।
आज उस बात को बीते हुए करीब दस साल गुज़र चुका है। आज उस बात को बीते हुए करीब दस साल गुज़र चुका है।
आखिर क्यों? आखिर क्यों?
घोर विपदा आन पड़ी है पास हमारे मौत खड़ी है। घोर विपदा आन पड़ी है पास हमारे मौत खड़ी है।
सुनके जोरू की विनती पसीजा, यार चला आ बनाए टापरी। सुनके जोरू की विनती पसीजा, यार चला आ बनाए टापरी।
मैं एक दीपक हूँ, हवा से परहेज़ नहीं, पर हवा से थोड़ी सी ईर्ष्या है, मैं एक दीपक हूँ, हवा से परहेज़ नहीं, पर हवा से थोड़ी सी ईर्ष्या है,